जीवन एक आध्यात्मिक बाग
जीवन एक आध्यात्मिक बाग हमारा जीवन पार्क, गार्डन, बाग- बगीचे से कम नहीं है। हम भी कुदरत के हिस्से हैं और बगीचा ( पेड़-पौधे, फूल) भी कुदरत का ही हिस्सा हैं। जिस पर बगीचे और बाग में मौसम के अनुसार पतझड़ भी होता है। फूल भी खिलते हैं। नये पौधे जन्म लेते हैं। कुछ फल सूखकर (बीज बनकर) जमीन पर पड़े रहते हैं। उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हालात के अनुसार कभी हार तो कभी जीत होती है। लोग भी मिलते हैं... नयी पहचान भी होती है और कुछ हमसे रूठ भी जाते हैं, रूठे हुए लोग दोबारा मिलते भी हैं जैसे सूखे फल के बीज दोबारा पौधा बनते हैं। हमें इस जीवन को हर तरह-हर तरफ खुशहाल बनाना है तो हमें अध्यात्मिक बनना होगा। अध्यात्म के बारे में बहुत से लोग पूरी तरह समझ नहीं पाते हैं। अध्यात्म अध्ययन भी है और एक सर्व शाक्तिशाली इंसान बनने की प्रेरणा भी है। शक्ति का यह मतलब नहीं कि किसी के साथ लड़ने और जीतने पर स्वयं को शक्तिशाली समझ बैठें। अध्यात्मिक शक्ति में केवल स्वयं से लड़ना होता है। लेकिन वह बिल्कुल लड़ाई की तरह नही, बल्कि सामना करने की क्रिया होती है। अध्यात्म का सारांश है कि जो स्वयं को जीतता है वहीं संपूर्ण विजे